इन भारतीय छाओं ने बनाया नकली दवाइयां पहचानने वाला ऐप, मिला लाखों का इनाम
नई दिल्ली: भारत के तीन स्टूडेंट्स नेे एक ऐसा मोबाइल ऐप तैयार किया है जिसकी मदद से नकली दवाओं को पहचाना जा सकता है। इसके लिए इन तीनों स्टूडेंट्स को दिग्गज कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने अवॉर्ड से पुरस्कृत भी किया है। इस स्टूडेंट्स को यह अवॉर्ड माइक्रोसॉफ्ट के मुख्यालय में हुई सालाना माइक्रोसॉफ्ट इमेजिन कप वर्ल्ड चैंपियनशिप में मिला है। यह तीनों स्टूडेट्स बेंगलुरु के आरवी कॉलेज ऑफ इंजीनीयरिंग के स्टूडेंट्स हैं।
ऐसेे काम करता है Drug Safe ऐप
इस ऐप्लिकेशन का नाम ड्रग सेफ है, जो नकली दवाईओं की पहचान कर सकता है। यह ऐप दवाओं के पैकेजिंग डिटेल्स सेे फर्जी दवाओं को पहचानने का काम करेगा। यह ऐप ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (OCR) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है। यह दवाओं के डिजाइन और पैकेजिंग के डिटेल्स लेता है और इसकी तुलना ओरिजनल मैन्युफैक्चरर के पेटेंटेड और ट्रेडमार्क से करता है। जब यह जांच पूरी कर लेता है उसके बाद अगर इस ऐप को किसी दवा में गड़बड़ी मिलती है तो उसे आसानी से यूजर को जानकारी दे देता है। जिससे यूजर्स को नकली दवाओं की पहचान करने में मदद मिलती है। टीम ने ऐप के लिए एक सिंपल यूजर इंटरफेस बनाया है, जिससे कोई भी यूजर आसानी से इसका इस्तेमाल कर सकता है।
ऐसे आया ऐप बनाने का ख्याल
इस ऐप को बनाने का काम चिदरुप आई, प्रतीक महापात्रा और श्रीहरि एचएस ने मिल कर किया है। इन तीनों स्टूडेंट्स को नकली दवाओं को लेकर उस समय परेशानी का सामना करना पड़ा, जब उनका एक दोस्त बीमार हो गया और दवाइयां लेने के बाद भी उसकी तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ। इसके बाद, इन्हें मालूम चला कि भारत में बिकने वाली सभी दवाओं में से करीब आधी फर्जी होती हैं और उन्होंने एक ऐसा ऐप डिवेलप करने का फैसला किया जो कि मार्केट में बिक रही फर्जी या नकली दवाओं की आसानी से पहचान कर सके। इसकेे लिए इन तीनों स्टूडेंट्स को 15,000 डॉलर ( लगभग 10 लाख रुपये) का इनाम मिला है।
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